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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

Shree Lakshmi Amritwani

माँ लक्ष्मी



श्री लक्ष्मी अमृतवाणी

विष्णु प्रिय कमलेश्वरी

लक्ष्मी दया निधान

तिमिर हरो अज्ञान का

ज्ञान का दो वरदान

आठ सिद्धियां द्वार तेरे

खड़ी हैं मां कर जोड़

निज भक्तन की नाव को

तट की ओर तू मोड़

निर्धन हम लाचार बडे़

तू हैं धन का कोष

सुख की वर्षा करके मां

हर लो दुख का दोष

जीवन चंदा को मैया

ग्रहण लगा घनघोर

डगमग डोले पग हमरे

हम मानव कमज़ोर

जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता

महा सुखदाई नाम तेरा

कर कष्टों का अंत

वनस्थली जैसी ये काया

दे दो इसे बसंत

दिव्य रूप नारायणी

पारस है तेरा धाम

तेरे सुमिरन से होते

संतन के सिद्ध काज

स्वर्ण से तेरी कांति

भय का करती नाश

तेरी करुणा से टूटे

हर जंजाल का पाश

मैया शोक विनाशनी

ऐसा कर उपकार

जीवन नौका हो जाये

भव सिंधु से पार

जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता

शेष की शैया बैठ के

सकल विश्व को देख

तेरी दृष्टि में मैया

हर मस्तक की रेख

सिंधुसुता भागेश्वरी

दिजो भाग्य जगा

तज के जग को हम तेरी

शरण गए हैं आ

तू वैकुंठ निवासनी

हम नर्को के जीव

प्राणहीन ये देह कहे

कर दो हमें सजीव

कमला वैभव लक्ष्मी

सुख से थी तेरे पास

सागर तट पे हम प्यासे

मैया बुझा दो प्यास

जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता

घन धान्य से घर हमरे

सदा रहें भरपूर

हर्ष के फूल खिलाए के

कांटे कर दो दूर

तेरी अलौकिक माया से

भागे दुख संताप

रोम रोम मां करे तेरा

मंगलकारी जाप

फल की हैं अर्धांगिनी

कृपा की दृष्टि कर

अन्न घन संपति से मां

भरा रहे ये घर

सागर मंथन से प्रकटी

ज्योति अपरम्पार

मन से चिंतन हम करें

सबकी चिंता हार

जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता


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